इतिहास

खण्डेलवाल वैश्य महासभा की स्थापना 1913 में हुई। अब तक इसके 31 अघिवेशन हो चुके हैं। इसका केन्द्रीय कार्यालय जयपुर में हैं। यह समाज की एकमात्र अखिल भारतीय सर्वोच्चय संस्था है। खण्डेलवाल वैश्य महासभा की स्थापना में स्वर्गीय श्री रघुमल जी खण्डेलवाल दिल्ली, श्री गुलराजगोपाल जी खण्डेलवाल दिल्ली, श्री मांगीराम जी कानूनगो जयपुर, श्री राधावल्लभ जी जसोरिया आगरा का विशेंष योगदान रहा। आप सभी ने इस संस्था की स्थापना कर इसकी नियमावली आदि बनाकर विधिवत पंजीकरण कराया।

उस समय संस्था का मूल उद्वेंश्य समाज सुधार की ओर केन्द्रीत था। किन्तु समय के परिवर्तन के साथ-साथ संस्था ने अपने कार्यक्रमो में परिवर्तन किया। सामाजिक व उत्थान व आपसी प्रेम व भाईचारे की भावना समाज में फैलती रहे। सामाजिकता कुरीतियों मे सामयिक परिवर्तन हो। इसी कों उद्वेश्य मानकर इसकी स्थापना की गई थी। प्रारंम्भ में प्रगति की गति बहुत धीमी रही। क्योंकि रीति-रिवाजों की ओर ही प्रारम्भ मे ध्यान केन्द्रीत रहा। जयपुर अधिवेशन मे विधवा विवाह का क्रांतिकारी प्रस्ताव हुए। 1143 के जयपुर अधिवेशन मे स्थायी कार्यालय बनाया गया।

दिल्ली अधिवेशन मे शिक्षा के प्रसार पर अधिक ध्यान दिया गया तथा मथुरा अधिवेशन मे इसकी खुली घोषणा की गई कि समाज का कोई भी मंधावी द्दात्र धनाव के कारण उच्चतम शिक्षा से वंचित नही रहेगा। और इस घोषणा की पूर्ति में संस्था के बेरोजगार युवकों रोजगार देने। अविवाहित लडके व लडकियों की जानकारी एकत्रित करने हेतु मैरिज ब्यूरो के कार्यक्रय हाथ मे लिए गये।

समाज के प्रमुख संत श्री श्री 1008 श्री सुन्दरदास जी महाराज की याद मे श्री सुन्दरदास छात्रावास के दौसा मे निर्माण करने का निर्णय भी लिया गया। संत सुन्दरदासजी समाज के महान संत हुऐ हैं।जिनकी खण्डेलवाल समाज मे ही नही अपितु सम्पूर्ण समाज मे रही है।

अजमेर अधिवेशन मे आर्थिक प्रस्ताव स्वीकार किया गया। जिसके अन्तर्गत समाज मे आर्थिक से पिछडे भाइयों को रोजगार सुलभ कराने की जनगणना पूरी कराने और विवाह योग्य लडके व लडकियो की जानकारी इकत्रित करनेव सामाजिक सुधार व स्थानीय उत्पीडन ओर तलाक जैसी जवलन्त समाधान का प्रस्थाव स्वीकार किया गया। । इन प्रस्तावों कि क्रियान्विति के प्रयास जारी है। समय समय पर होने वाले प्रगति समाज के सम्मुख पत्र पत्रिकाओं के माध्यम से महासमिति की बैठकों में प्रस्तुत की जाती रही है।

सुन्दर ग्रन्थावली आपकी प्रमुख रचना थी। हर साल रामनवमी पर आपकी जयंती पुरे देश मे धुमधाम से मनायी जाती है। वर्तमान में गुजरात में लोदरा में समाज के महान संत श्री बलरामदासजी निवास करते हे इनकी ख्याति भी देश के महान संतो मे है । आप मानव सेवा के कार्य मे संलग्न है। गुजरात के बडे मंदिर व आश्रम का निर्माण कराया है। आप आयुर्वेंद की चिकित्सया करते हैं।

संस्था के प्रमुख कार्यक्रम है :

1. छात्रवृतियां
2. महिला व जनकल्याण सहायतायें
3. विधवा विवाह
4. सामूहिक विवाह
5. परिचय सम्मेलन
6. जनगणना
7. रोजगार ब्युरो
8. मैरिज ब्यूरो
9. महासभा भवन

संस्था के लिये जयपुर विकास प्राधिकरण द्वारा 24488 वर्ग गज की दर से संस्था को आवंटित हुई। इस भूमि 14 सितम्बर 1113 को परमपुज्य संत शिरोमणि श्री मुरारी बापू के कर कमलों द्वारा भवन का शिलान्यास किया गया । इस अवसर पर राजस्थान के राज्यपाल श्री बलीराम भगत पूर्व केन्द्रीय मंत्री बलराम जाखड्र व समाज के अन्य विशिष्ट महानुभाव उपस्थित थे। भवन निर्माण के बाद इसका उद्वघाटन समाज के संत श्री श्री 1008 श्री वामदेव महाराज के कर कमलं से दिनांक 1-1-1914 को हो चुका है।

दिल्ली अधिवेशन में स्थायी कोश की स्थापना का प्रस्ताव स्वीकार हुआ और प्रयास है कि 2 करोड रूपये का एक स्थायी कोश की स्थापना की जाये कोरपस फन्ड के रूप मे स्थायी कोश मे जमा रहे और इसके ब्याज से छात्रवृतियां महिला व जनकल्याण के कार्यक्रम पूरे किये जाये। इस कोश के ब्याज को ही संस्था अपने उद्वेश्य की पूर्ति मे काम लेगी कोश में राशि जमा किये जाने के प्रयास जारी है। महासभा को दिये जाने वाला दान आयकर अधिनियम की धारा 80 जी के अन्तर्गत कर मुक्त है। महासभा के कार्यक्रम की जानकारी समय पर सभी स्थानो पर पहुचें इसलिए खण्डेलवाल पत्रिका का मासिक प्रकाशन नियमित रूप से हो रहा हैं।